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पहले बेटी फिर हजारों निसंतानों के मसीहा बने डॉ संजय जोशी
डॉ संजय जोशी
निसंतानता या बांझपन आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। शब्दों में कहना जितना आसान है उतना ही कठिन है उस दर्द को समझना जिससे एक निसंतानता से जुझ रहा दंपती गुजरता है। परिवार की अपेक्षा, समाज की अपेक्षा और सबसे ज्यादा एक दूसरे से अपेक्षा। ऐसा ही कुछ बीत रहा था डॉ संजय जोशी की एकलौती बेटी प्रिया के साथ, लेकिन बेटी को किए वादे के लिए डॉ संजय जोशी के ने वो कर दिखाया जिससे आज हजारों निसन्तान दम्पत्ति निसंतानता के श्राप से मुक्त हो रहे हैं।
गढ़वाल, उत्तराखण्ड राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय से सेवानिवृत डॉ संजय जोशी किसी परिचय के मोहताज नहीं है। सिर्फ वो ही नहीं उनकी पिछली दो पीढ़ी आयुर्वेदिक चिकित्सा से पौड़ी गढ़वाल के लोगों की सेवा में लगी थी।
इतना ही नहीं बेटी प्रिया ने भी मेडिकल में करियर बनाया, फर्क सिर्फ इतना था कि बेटी ने पढ़ाई एलोपैथ मे की और आँखों की डॉक्टर बन गई।
हर पिता की तरह डॉ जोशी ने भी बेटी की शादी का जैसा सपना देखा था शादी उससे भी ज्यादा धूमधाम से कारवाई। डॉ प्रिया की शादी पंतनगर के प्रसिद्ध डॉक्टर परिवार में हुई थी।
निसंतानता का श्राप
शादी के बाद डॉ प्रिया अपने पती के साथ पंतनगर शिफ्ट हो गई। पती और पत्नी दोनों की प्रैक्टिस अच्छी चल रही थी पती फिजीशियन थे और पत्नी आई स्पेशलिस्ट। शादी के शुरुवाती दो साल तो खुशी खुशी निकल गए, लेकिन अपने यहाँ इंसान कितनी भी तरक्की क्यूँ न कर ले, परिवार में शादी का दबाव और शादी के बाद बच्चों का दवाब देर-सबेर आता ही है। डॉ प्रिया और उनके पती के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ।
परिवार, आस पड़ोस और समाज से दबी जुबान में ही सही पर संतान का दबाव अब महसूस होने लगा था। लेकिन असलियत कुछ और थी, ऐसा नहीं था कि डॉ प्रिया और उनके पती ने कोशिश नहीं की, पर दुर्भाग्यवश दोनों कंसीव नही कर पा रहे थे। दोनों ही मेडिकल प्रोफेशन में थे लेकिन बांझपन का शक कुछ ऐसा होता है कि इतने पढे लिखे लोग भी खुल कर बात करने में संकोच कर रहे थे। बात फैलने के डर से परिवार में बिना बताए दोनों ने देहरादून के एक प्रसिद्ध गायनाकोलॉजिस्ट से कन्सल्ट किया। डॉक्टर शहर के जाने माने गायनाकोलॉजिस्ट में से एक थे, डीटेल में बात करने के बाद डॉक्टर ने ना जाने कितने ही टेस्ट करवाए।
फर्टिलिटी टेस्ट आसान नहीं
डाक्टर ने डॉ प्रिया और आपके पती के लिए अलग – अलग टेस्ट लिखे थे डॉ प्रिया के लिए एएमएच(AMH) टेस्ट, ओवुलेशन टेस्ट, अल्ट्रासॉउन्ड, वायरल मार्कर और हॉर्मोन के स्टार की जांच करने के लिए ब्लड टेस्ट और उनके पती के लिए सीमन एनालिसिस, स्क्रॉटल अल्ट्रासाउंड, हार्मोन टेस्टिंग और जेनेटिक टेस्ट।
आज कल टेस्ट करवाना इलाज जितना ही महंगा है, इतने सारे टेस्ट गरीब व मिडिल क्लास के लिए तो सपने जैसा हैं, वो तो दोनों संभ्रांत परिवार से थे फिर भी अच्छे खासे पैसे सिर्फ टेस्ट-टेस्ट में ही लग गए। इतना ही नहीं बुरी खबर तो टेस्ट रिपोर्ट आने के बाद आई, डॉक्टर के अनुसार डॉ प्रिया और उनके पती दोनों ही फर्टाइल नहीं थे। डॉ प्रिया में PCOD की प्रॉब्लेम थी और उनके पती का सीमन काउन्ट (semen count )और स्पर्म मोटिलिटी (sperm motility) दोनों कम था। पहले तो विश्वास ही नहीं हुआ पर एक मल्टी स्पैशलिटी हॉस्पिटल से सेकंड ओपीनियन लेने के बाद दोनों ने इलाज शुरू करवा दिया।
इलाज और उम्मीद का लंबा सिलसिला
दोनों ने छुप छुपा कर इलाज तो जारी रखा पर मेडिकल जगत में ये बात छुप न सकी। निसन्तान दंपती का यह सच पहले पंतनगर में बेटी के ससुराल फिर वहाँ से डॉ जोशी तक भी पहुच गया। डॉ जोशी खुले विचारों के व्यक्ति थे और परिवार में हर तरह के हेल्दी डिस्कशन को बढ़ावा देने वालों में से थे। डॉ जोशी ने अपनी बेटी और दामाद के इस दुख पर खुल कर बात की। इतना ही नहीं अपनी पहुच और पहचान में भी इस समस्या के निवारण पर गंभीर डिस्कशन किए।
इधर देहरादून से हो रहे इलाज में सात महीने बीत गये लेकिन डाक्टर दम्पति सिर्फ उम्मीद और इंतज़ार ही करते रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे सिर्फ दवाइयाँ बदल रही थी रिपोर्ट नहीं, हर बार रिपोर्ट निगेटिवे ही रहती। इतने बड़े परिवार का हिस्सा होने के बावजूद डॉ प्रिया को डायरेक्ट न सही लेकिन कुछ वैसे ही सवालों से गुजरना पड़ा जो जाने या अंजाने मे निसंतानता झेल रहे दम्पति को एक अपराधी सा महसूस करा देते है। इतने इंतजार के बाद भी जब सफलता हाथ न लगी तो आखिरकार डॉ प्रिया और उसके पती ने IVF विधि से संतान प्राप्ति का विचार किया।
आईवीएफ़ (IVF) नहीं है आसान
इन दिनों आईवीएफ़ (IVF) का प्रचार जोरो शोरों पर है। आए दिन न्यूजपेपर या होर्डिंग पर IVF क्लीनिक का प्रचार आम है। डॉ प्रिया और उनके पती ने अपने परिवार से इस बारे में खुल कर बात करने का विचार किया। हालांकी लगभग साल भर इलाज कराने के बाद निराश दम्पति के सामने आईवीएफ़ (IVF) के अलावा और कोई इलाज दिख भी नहीं रहा था फिर भी परिवार में सभी इस बात पर एकमत थे कि IVF का सक्सेस रेट काफी कम है। लाखो रुपये खर्च करने के बावजूद पॉजिटिव रिजल्ट 20% से 25 % ही है। इतना ही नही इस प्रक्रिया में कई तरह के साइड इफेक्ट भी है। इतना ही नहीं आईवीएफ़ (IVF) बेहद दर्द भरा (पेनफुल) प्रोसेस है। आईवीएफ़ (IVF) करने वाले हॉस्पिटल या डॉक्टर इस बात को कभी नहीं बताएंगे लेकिन इस बात की सच्चाई आईवीएफ़ कराने वाले दम्पति से पता की जा सकती है।
निसंतान बेटी के लिए डॉ जोशी का संघर्ष
परिवार कितना ही पढ़ा-लिखा या संभ्रांत क्यों न हो बाझपन या निसंतानता जैसे मुद्दो पर ताने सुनने ही पड़ते हैं। डॉ संजय जोशी इस बात से अनजान नही थे, उनको पता था कि उनकी बेटी और दामाद के दिल पर क्या बीत रही होगी दुनिया क्या सोच रही होगी कि एक डाक्टर होकर भी बाझपन का इलाज नही कर पा रहे हैं। इसी विचार के साथ डा. जोशी ने अपने सर्कल में आर्युवेद से जुड़े कितने ही लोगों से मुलाकात की और धीरे धीरे इससे संबधित जानकारी जुटाना शुरू किया। दरअसल डॉ जोशी की यह मुहिम तो तबसे ही शुरू हो गई थी जबसे उन्हें अपने बेटी और दामाद के सन्तान प्राप्ति में असमर्थ होने का पता चल था। उन्हें पता था कि आईवीएफ़ (IVF) एक महंगा विकल्प हो सकता है लेकिन सटीक इलाज नहीं।
डॉ जोशी ने अपने राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय से जुड़े सीनियर डॉक्टरों से खुलकर विमर्श किया और लगभग आठ महीने उत्तराखण्ड, मध्य प्रदेश, केरल एवं अरुणाचल प्रदेश से विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियों को मँगवाया। इतना ही नही इस प्रयोग में कौन सी जड़ी बूटी का कौन सा भाग कितना लेना है, कौन सी जड़ी बूटी किस ऋतु में से निकलाना है। किस जड़ी बूटी का सिर्फ अर्क मिलाना है या किसका सिर्फ भावना लेती है, समय, प्रकार, मात्रा इन सभी पर लगभग आठ महीने प्रयोग करने के बाद डॉ संजय जोशी ने दो प्रकार की औषधि तैयार की जिसमें पुरुषों के लिए अलग और महिलाओं के लिए अलग औषधि बनी थी।
आयुर्वेदिक चमत्कार ने लौटाई खुशियां,,,परिवार में गूंजी किलकारियाँ
डॉ संजय जोशी की आठ महीने की कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प रंग ला चुकी थी। उन्होंने महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग अलग औषधि तैयार कर दिखाई थी। लैब टेस्ट देख कर डॉ जोशी बेहद कांफिडेंट थे और मन ही मन मे अपनी बेटी को किए गए वादे को पूरा होता देख रहे थे। हालांकी डॉ प्रिया अपने पिता पर भरोसा कर आयुर्वेद विधि से तैयार इस औषधि को लेने के लिए तैयार थीं लेकिन डॉ जोशी के दामाद और डॉ प्रिया के पती को आयुर्वेद पर भरोसा कम ही था, फिर भी डॉ प्रिया के कहने पर दोनो ने यह औषधि लेना शुरु किया। शुरुआती तीन महीने में तो कुछ भी नहीं लगा पर इसका कोर्स 4 महीने का था जिसको पूरा करने के एक महीने बाद डॉ प्रिया के पीरियड नहीं शुरू हुए। एक हफ्ते बाद प्रेगनेसी स्टिक पर दोनो लाइन पिंक में बदलती देख डॉ प्रिया की खुशी का ठिकाना न रहा। जहां मेडिकल साइंस निसंतानता और बांझपन को ले कर आज भी पूरी तरह कॉन्फिडेंट नहीं है वहीं अपने देश में डॉ जोशी जैसे आयुर्वेदाचार्य हैं जिन्होंने आयुर्वेद विधि से इसका इलाज संभव कर दिखाया है। डॉ संजय जोशी ने अपनी औषधी को कुलवर्धक(kulvardhak) नाम दिया। आज डॉ प्रिया के परिवार में नन्हे वेदान्त की किलकारिया गूंज रही है, और आयुर्वेदिक कुलवर्धक औषधि को ले कर पूरे परिवार का नजरिया बिल्कुल बदल गया है।
कुलवर्धक (kulvardhak) ने बदली हजारो निसंतानों की जिंदगी
आज उत्तराखण्ड ही नहीं पश्चिमी उत्तरप्रदेश मे भी डॉ संजय जोशी किसी परिचय के मोहताज नहीं है, 2018 में डॉ संजय जोशी को उत्तराखण्ड रत्न से भी सम्मानित किया जा चुका है। साथ ही आयुर्वेदिक राजकीय विद्यालय समिति की सिफारिश पर इनके उत्पाद को भारत सरकार द्वारा पेटेट भी ग्राण्ट किया जा रहा है। सचमें यह चमत्कारी अयुर्वेदिक औषधि कुलवर्धक ही साबित हो रही है। आज यह औषधि ऑनलइन भारत के कोने-कोने मे उपलब्ध है। इतना ही नही डॉ संजय जोशी ने एक उद्देश्य के तहत इस औषधि को इतना अफोर्डेबल बनाया है कि एक गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार भी निसंतानता के श्राप से मुक्त हो सके।
कुलवर्धक (kulvardhak) दवा को इस्तेमाल करने के बाद लोगो की राय
जल्द ही विदेशों में भी उपलब्ध होगी कुलवर्धक (kulvardhak)
अभी हाल ही में हुए ‘Star Global Infertility Conclave’ में भी कुलवर्धक (kulvardhak) की बातें जोर शोर से हुई। यूरोप, अमेरिका के 5 देश इसके Export का प्रपोजल भारत औषध मंत्रालय में जमा कर चुके है। ऐसी उम्मीद है कि दिसंबर के पहले सप्ताह से इस औषधि की उपलब्धता भारत के अलावा युरोप, अमेरिका और मिडिल ईस्ट के देशों में भी होगी।
बेहद कम है कुलवर्धक (kulvardhak) की कीमत
डॉ संजय जोशी के अनुसार कुलवर्धक (kulvardhak) की पहुंच गरीब और मध्यम वर्गीय तक भी होनी चाहिए, इसीलिए 4 महीने के कोर्स की कीमत मात्र रु 4200 रखी गई है, जो अपने यहाँ होने वाले कितने ही टेस्ट से भी कम है।
महिला एवं पुरुषो दोनों के लिए है आयुर्वेदिक कुलवर्धक (kulvardhak)
कुलवर्धक (kulvardhak) का फार्मुला महिलाओं और पुरुषो दोनों के लिए अलग-अलग है।
जहाँ पुरुषों की औषधि
- शुक्राणुओं का ना बनना या कम बनना
- हार्मोनल प्रॉब्लम
- शुक्राणु का कम Motile होना
- वीर्य का पतला होना है
- टेस्टिस में इंफेक्शन
जैसी समस्या का निवारण करती है
वहीं महिलाओं की औषधि
- अंडो का कम बनना या फिर समय पर नही बनना या फुट जाना
- अंडेदानी मे रसोली का होना
- गर्भ का बार बार गिरना या ठहरना
- PCOD / PCOS
- हार्मोनल प्रॉब्लम
- मासिक धर्म समय पर नही होना या रुकना
- Fallopian tubes में रुकावट होना या बंद होना
जैसी समस्या का निवारण करती है
कहाँ और कैसे उपलब्ध है कुलवर्धक (kulvardhak)
कुलवर्धक (kulvardhak) औषधि ऑनलाइन उपलब्ध है। यह औषधि पाने के लिए नीचे दिये गए फोरम पर अपना नाम ओर मोबाइल नंबर भरे कर फॉर्म सबमिट करे। या फिर नीचे दिये गए नंबर पर कॉल करे।
बेहद कम है कुलवर्धक (kulvardhak) की कीमत
डॉ संजय जोशी के अनुसार कुलवर्धक (kulvardhak) की पहुंच गरीब और मध्यम वर्गीय तक भी होनी चाहिए, इसीलिए 4 महीने के कोर्स की कीमत मात्र रु 4200 रखी गई है, जो अपने यहाँ होने वाले कितने ही टेस्ट से भी कम है।
Kulvardhak for Male किट के पूरे 4 महीने के कोर्स की कीमत है। मात्र- 4200
Kulvardhak for Female किट के पूरे 4 महीने के कोर्स की कीमत है। मात्र- 4200
कुलवर्धक दवा को मँगवाने के लिए नीचे दिये गये फोर्म को भरकर सबमिट करे
परिवारों के अनुभव
बांझपन एक शब्द नही आप है, जिसपर बीतती है वो ही जनता है मैं और मेरे पती 4 साल तक भटकते रहे। भोपाल शहर में 4-5 नामी गायनाकोलॉजिस्ट से कंसल्ट की, इलाज कराना लेकिन परिवार मे खुशिया आई कुलवर्धक (kulvardhak) औषधी के सेवन से। मै तो सभी निसन्तान दम्पति को इसे लेने की सलाह देती हूँ। आज मेरी बेटी 3 साल की है। धन्यवाद कुलवर्धक।
समाज के तानों, परिवार के तानों से मै तंग आ गई थी, लगता था बस सब छोड़ छाड़ का भाग जाओ। इंटरनेट पर सर्च करते समय कुलवर्धक के बारे मे पता चला। इतने लोग और इतना अच्छा रिजल्ट वाकई कमाल है। किसी चमत्कार से कम नही। आज हमारे दो बच्चे है। कुलवर्धक (kulvardhak) एक चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि है|